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अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण का विरोध करने वालों पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने जोरदार हमला किया और कहा कि, वे इसे दूसरा संभल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसा नहीं होगा. केंद्रीय मंत्री ने इसे कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति बताते हुए आरोप लगाया कि, मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार कांग्रेसी ही है. अजमेर में कोर्ट ने सर्वेक्षण का निर्देश दिया. अगर किसी हिंदू ने याचिका दायर की है और कोर्ट ने सर्वेक्षण का आदेश दिया है, तो इसमें क्या दिक्कत है? गिरिराज सिंह ने आगे कहा कि, मुगलों ने हमारे मंदिर तोड़ दिए. अब आप पूछेंगे कि आप कितनी मस्जिदों के साथ ऐसा करेंगे? मैं कहूंगा कि कांग्रेस ने अब तक सिर्फ तुष्टीकरण की राजनीति की है. अगर नेहरू ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का यह अभियान बंद कर दिया होता, तो आज हम कोर्ट जाने की स्थिति में नहीं होते. इसी वजह से याचिका दायर की गई और कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया. सर्वेक्षण का आदेश कानून के मुताबिक दिया गया है, लेकिन वे इसे दूसरा संभल बनाने जा रहे है. हालांकि दरगाह में हिंदू मंदिर के दावा करने के बाद सियासत बढ़ती जा रही है. अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद राम गोपाल यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, निचली अदालतों में बैठे जज देश को आग में झोंकना चाहते हैं. अजमेर शरीफ दरगाह के सर्वेक्षण मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए यादव ने कहा कि, पीएम नरेंद्र मोदी खुद अजमेर शरीफ दरगाह पर ‘चादर’ भेजते हैं. देशभर से और पूरी दुनिया से लोग अजमेर शरीफ आते हैं. उस स्थान को विवाद में डालना बहुत ही घृणित और ओछी मानसिकता को दर्शाता है. इतना ही नहीं, बीजेपी समर्थित लोग सत्ता में बने रहने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. उन्हें परवाह नहीं है कि, देश आग में झुलस जाए. उन्हें बस सत्ता चाहिए. आपको बता दें कि, राजस्थान के अजमेर जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करते हुए हिंदू पक्ष ने अजमेर सिविल न्यायालय पश्चिम में याचिका दायर की. जिसपर आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दरगाह में मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका को स्वीकार किया. इससे संबंधित अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग m को नोटिस देकर पक्ष रखने को भी कहा है. अब इस मामले में कोर्ट 20 दिसंबर को अगली सुनवाई करेगी. दरअसल, अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर नया विवाद खड़ा हो गया है. हिंदू सेवा का दावा है कि, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में प्राचीन शिव मंदिर है. अपने इस दावे के समर्थन में 1911 में प्रकाशित एक पुस्तक को अजमेर की कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश भी किया गया है. जिसपर आज सुनवाई हुई है.