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रांची /डेस्क : भारत का उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर पिछले 21 महीने से हिंसा की आग में झुलस रहा है.
हाल के दिनों में गोलीबारी और हिंसा के कारण सैकड़ों लोगों और सुरक्षाबलों की जानें गई हैं.
शनिवार और रविवार को हुई गोलीबारी और हिंसा में एक बार फिर से आमलोगों की मौत हुई है. इस बार मरने वालों में बिहार के भी दो लोग शामिल हैं.
जानकारी के मुताबिक शनिवार को हुई दो अलग-अलग घटनाओं में तीन लोगों की जान चली गई. इनमें से दो बिहार के मजदूर थे जिनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई.
स्थानीय प्रशासन के मुताबिक काकचिंग जिले में दो बिहारी मजदूरों, सुनेलाल कुमार (18 वर्ष) और दशरथ कुमार (17 वर्ष) की अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। दोनों गोपालगंज जिले के रहने वाले थे और काकचिंग के मैतेई बहुल इलाके में रहते थे.
घटना के बारे में मृतकों के परिजनों ने मीडिया को बताया है कि सोनेलाल मुखिया और दशरथ कुमार निर्माण श्रमिक थे. वे मैतेयी के प्रभुत्व वाले काकचिंग में किराये के मकान में रहते थे.
गोपालगंज के राजवाही बिन टोली के करीब एक दर्जन मजदूर दीपावली के अगले दिन यानी 1 नवंबर को मणिपुर के काकचिंग जिले में राजमिस्त्री का काम करने के लिए गए थे.
मृतकों के परिजनों के अनुसार, शनिवार की शाम को 5 बजकर 20 मिनट के करीब काकचिंग-वाबागई रोड पर ये दोनों लड़के साइकिल से लौट रहे थे. इस दौरान उनके अन्य साथी पैदल आ रहे थे. लेकिन इन दोनों साइकिल सवारों को अपराधियों ने टारगेट बनाया और गोली मारकर उनकी हत्या कर दी.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मणिपुर में उपद्रवी हिंसा में बिहार के गोपालगंज जिले के रहनेवाले लक्ष्मण कुमार और दशरथ कुमार की हत्या से मर्माहत हैं। उन्होंने इस घटना को काफी दुखद बताया है। मुख्यमंत्री ने मणिपुर में बिहार निवासियों की हत्या पर गंभीर चिन्ता व्यक्त की है।
उन्होंने इस घटना में मृत लक्ष्मण कुमार और दशरथ कुमार के परिजनों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 02-02 लाख रूपये देने की घोषणा की है। साथ ही श्रम संसाधन विभाग एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित योजनाओं से नियमानुसार अन्य लाभ दिलाने हेतु अधिकारियों को निर्देशित किया है।
मुख्यमंत्री ने दिल्ली में बिहार के स्थानिक आयुक्त को स्थिति की जानकारी लेने तथा हरसंभव सहायता उपलब्ध कराने एवं मृतकों के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव पहुँचाने के लिये सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ करने का भी निर्देश दिया है.
आपको बता दें कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से जातीय संघर्ष चल रहा है। माना जा रहा है कि बिहारी मजदूरों की हत्या भी इसी संघर्ष का नतीजा है। मृतकों के परिवार ने इस हिंसा को रोकने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हिंसा से कई परिवारों को नुकसान हो रहा है।
पिछले साल मई महीने की शुरुआत से ही मणिपुर के मैतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा का दौर शुरू हुआ था
राज्य के प्रभावशाली मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की माँग को इस हिंसा की मुख्य वजह माना जाता है.
इसका विरोध मणिपुर के पहाड़ी इलाक़ों में रहने वाली जनजातियों के लोगों ने किया, जिनमें मुख्यतः कुकी जनजाति के लोग हैं.
इस हिंसा में कई लोगों की जान जा चुकी है और बड़ी संख्या में लोगों को राहत शिविरों में शरण भी लेनी पड़ी. हिंसा की वजह से राज्य में सार्वजनिक और निजी संपत्ति का भी बड़ा नुक़सान हुआ है.