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नई दिल्ली / डेस्क : विश्वविख्यात तबला वादक और पद्म विभूषण उस्ताद जाकिर हुसैन का निधन हो गया है. हुसैन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित थे. जाकिर हुसैन ने 73 साल की उम्र में सैन फ्रांसिस्को में अंतिम सांस ली. हुसैन के परिवार ने जानकारी दी कि, वे इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से पीड़ित थे. बता दें इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण फेफड़ों के टिश्यू डैमेज हो जाते है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है. सांस फूलना और गले में कफ आना इसके शुरुआती लक्षण हैं. फेफड़ों के टिश्यू डैमेज होने से खून में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती. इससे शरीर के ऑर्गन्स तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत आने लगती है और धीरे-धीरे ऑर्गन्स भी काम करना बंद कर देते हैं.पिछले दो हफ्ते से सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे. हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें ICU में एडमिट किया गया था. वहीं उन्होंने आखिरी सांस ली. जाकिर का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था. उस्ताद जाकिर हुसैन को 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से नवाजा गया था. उनके पिता का नाम उस्ताद अल्लारक्खा कुरैशी और मां का नाम बावी बेगम था. जाकिर के पिता अल्लारक्खा भी तबला वादक थे. जाकिर हुसैन की शुरुआती शिक्षा मुंबई के माहिम स्थित सेंट माइकल स्कूल से हुई थी. उन्होंने ग्रेजुएशन मुंबई के ही सेंट जेवियर्स कॉलेज से किया था. हुसैन ने सिर्फ 11 साल की उम्र में अमेरिका में पहला कॉन्सर्ट किया था. 1973 में उन्होंने अपना पहला एल्बम ‘लिविंग इन द मटेरियल वर्ल्ड’ लॉन्च किया था. हुसैन को 2009 में पहला ग्रैमी अवॉर्ड मिला. 2024 में उन्होंने 3 अलग-अलग एल्बम के लिए 3 ग्रैमी जीते. इस तरह जाकिर हुसैन ने कुल 4 ग्रैमी अवॉर्ड अपने नाम किए. आपको बता दें कि, रविवार देर रात भी उनके निधन की खबर आई थी. भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने भी निधन संबंधी पोस्ट शेयर की थी, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया था. इसके बाद जाकिर की बहन और भांजे आमिर ने जाकिर के निधन की खबर को गलत बताया था. बताया जाता है कि, जाकिर हुसैन के अंदर बचपन से ही धुन बजाने का हुनर था. वे कोई भी सपाट जगह देखकर उंगलियों से धुन बजाने लगते थे. यहां तक कि किचन में बर्तनों को भी नहीं छोड़ते थे. तवा, हांडी और थाली, जो भी मिलता, वे उस पर हाथ फेरने लगते थे.शुरुआती दिनों में उस्ताद जाकिर हुसैन ट्रेन में यात्रा करते थे. पैसों की कमी की वजह से जनरल कोच में चढ़ जाते थे. सीट न मिलने पर फर्श पर अखबार बिछाकर सो जाते थे. तबले पर किसी का पैर न लगे, इसलिए उसे अपनी गोद में लेकर सो जाते थे. अमेरिका में भी जाकिर हुसैन को बहुत सम्मान मिला. 2016 में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें ऑल स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया था. जाकिर हुसैन पहले इंडियन म्यूजिशियन थे, जिन्हें यह इनविटेशन मिला था.