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रांची / डेस्क : भारत के हरेक शहरों, कस्बों, बाज़ारों में भीख मांगने वाले भिखारियों को आप देखते हैं , हम सब उन्हें भीख के तौर पर कुछ पैसे या अन्य सामाग्री देते भी हैं। लेकिन अब भीख देना अपराध की श्रेणी में गिना जाएगा। नए नियम के अनुसार भीख देना कानून जुर्म होगा। इसके पहले भीख मांगने पर इंदौर में पहले से ही मना है। आइये आपको बताते चले कि यह नियम कहां लागू किया गया है। जिस प्रकार मध्यप्रदेश के इंदौर शहर की चर्चा पूरे देश में सफाई के कारण होती है लेकिन इस बार इंदौर की चर्चा भीख देने वाले लोगों पर कानूनी कारवाई के कारण हो रही है । जी हां आपने ठीक ही पढ़ा है –इंदौर में एक जनवरी 2025 से भीख देना अपराध हो जाएगा।
बता दें कि इंदौर में कोई व्यक्ति भीख देता पकड़ा जाएगा तो उसके खिलाफ केस दर्ज की जाएगी। यह नियम 1 जनवरी 2025 से लागू होगा। आइये जानते हैं कि भिखारियों के आंकड़ें क्या कहती है ऑर क्या भीख मांगना अपराध की श्रेणी में आता है ?
कई सालों से इंदौर शहर सफाई के मामले में प्रथम आता है परंतु अब इंदौर भिखारियों को सफाया करने जा रहा है। इंदौर के क्लेकटर आशीष सिंह के अनुसार अगर 1 जनवरी से कोई भी व्यक्ति भीख देते पकड़ा जाएगा तो तो उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इंदौर के अलावा अन्य शहर भी भिखारियों से फ्री करने की कवायद कर चुकी है लेकिन अदालतें इस पर प्रतिबंध लगाने से साफ इंकार कर चुकी है।
क्या कहती भिखारियों के आंकड़ें –
2011 जनगणना के अनुसार देश भर में 3.72 लाख से ज्यादा भिखारी हैं। जिसमें 1.97 लाख पुरुष और 1.74 लाख महिलाएं हैं। 19 साल से कम आयु के भिखारी करीब 55 लाख हैं। 1.43 लाख से ज्यादा भिखारी 60 से ज्यादा आयु के हैं।
देश में कहां –कहां भिखारियों की संख्या कितनी है –
देश में सबसे ज्यादा भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं। पश्चिम बंगाल में 81244 भिखारी हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 65835 भिखारी हैं। आंध्रप्रदेश में 30 हजार 218, बिहार में 29 हजार 723, मध्यप्रदेश में 28 हजार 695 और राजस्थान में 25 हजार 853 भिखारी हैं। राजधानी दिल्ली में 2187 भिखारी हैं।
धर्मों के आधार पर भिखारियों की संख्या –
72 प्रतिशत यानी 2.68 लाख हिन्दू भिखारी हैं। इसके बाद 25 फीसदी यानी 92760 मुस्लिम हैं। भीख मांगने वालों में मुस्लिमों में पुरुषों से महिलाओं की संख्या ज्यादा है।
शिक्षा के आधार पर भिखारियों की संख्या –
भीख मांगने वालों में 2.92 लाख ऐसे हैं जो पढे –लिखे नहीं हैं। वहीं तीन हजार से ज्यादा ऐसे भिखारी है जिसके पास कोई न कोई डिप्लोमा या डिग्री है।
क्या भीख मांगना अपराध की श्रेणी में आता है ?-
भारत में फिलहाल भीख मांगने को लेकर कोई केंद्रीय कानून नहीं है। हालांकि 1959 का बॉम्बे प्रिवेन्शन ऑफ बेंगिग एक्ट राजधानी दिल्ली समेत 20 से ज्यादा राज्यों में लागू है। इस कानून के सड़क पर भीख मांगना अपराह नहीं बनाता है बल्कि सार्वजनिक जगहों पर डांस करके गाना गाकर, चित्रकारी करके, कोई करतब दिखा कर कुछ ऐसा करते हैं ऑर उसके बदले में पैसे मिलती है ,वह ‘भीख ‘के श्रेणी में आता है। अगर कोई व्यक्ति भीख मांगते पकड़ा जाएगा तो उसे एक से तीन साल तक बेगर होम में डिटेन किया जाएगा। अगर वही व्यक्ति दूसरी बार पकड़ा जाएगा तो उसे 10 साल तक कारावास में भेजा जाएगा।भीख मांगने पर पुलिस बिना किसी वारंट के के भी हिरासत में ले सकती है। बच्चों से भीख मंगाना अपराध है। ऐसा करने पर तीन साल की सजा हो सकती है। रेलवे स्टेशनों पर भीख माँगना धारा 144 के तहत आता है जो कि अपराध है। इस धारा के तहत एक साल की कैद या दो हजार रुपए या फिर दोनों हो सकती है।
अदालत प्रतिबंध लगाने से मना कर चुकी है –
जुलाई 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने भीख मांगने पर रोक लगाने से मना कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह एक सामाजिक –आर्थिक समस्या है । कोर्ट ने कहा था कि पढ़ाई –लिखाई न होने के कारण ऑर नौकरी नहीं मिलने के बाद लोग भीख मांगने को मजबूर होते हैं।