लातेहार में माओवादी कमांडर छोटू खरवार की हत्या कर दी गई. हत्या का कारण आपसी विवाद बताया जा रहा है. पूरा मामला छिपादोहर थाना क्षेत्र के अंतर्गत भीमपांव जंगल के पास का बताया जा रहा है. बता दें माओवादी कमांडर छोटू खरवार की हत्या की पुष्टि पलामू डीआईजी वाई एस रमेश ने की है. पुलिस मामले की जांच कर रही है. जिसके बाद ही हत्या का कारण साफ हो पाएगा. छोटू खरवार उर्फ छोटू जी उर्फ सुजीत जी सिकिद, हेरहंज का रहने वाला था. छोटू खरवार 2016 से एक्टिव था. उसके खिलाफ लातेहार, पलामू, गढ़वा, लोहरदगा, गुमला समेत कई अन्य जिलों के थानों में नक्सली संगठन की तरफ से की गई हत्या, आगजनी, गोलीबारी, विस्फोट समेत 100 से अधिक मामले दर्ज हैं. साल 2013 में लातेहार में आईईडी विस्फोट में सीआरपीएफ के 14 जवान शहीद हुए थे. इस मामले में भी छोटू खरवार का नाम शामिल था. लातेहार जिले में छोटू खरवार एक मात्र ऐसा बड़ा नक्सली था, जो पुलिस को लंबे समय से लगातार चुनौती दे रहा था. छोटू को गिरफ्तार करने के लिए राज्य से लेकर जिले के पुलिस अधिकारी कई बार सर्च ऑपरेशन चला चुके थे, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी. जिसके बाद आज सुबह चुंगरु पंचायत के नावाडीह गांव के भीमपांव जंगल से उसका शव बरामद किया गया. दूसरी ओर मिली जानकारी के अनुसार, माओवादी के जोनल कमांडर 10 लाख के इनामी मनीष यादव पर हत्या की बात सामने आ रही है. छोटू का शव जिस जगह पर बरामद हुआ. वहां लेवी के बंटवारा को लेकर माओवादी जुटे थे. इसी दौरान झगड़ा हुआ और उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई. दरअसल, कुछ दिनों से माओवादियों के बीच आपसी रंजिश चल रही थी. बताया जा रहा है कि मंगलवार की रात समझौते के लिए
माओवादी नक्सली भीमपाव जंगल में इकट्ठा हुए थे. इसी दौरान एक माओवादी ने उसकी हत्या कर शव को जंगल में छोड़कर अन्य नक्सली मौके पर से फरार हो गए. इस पर 15 लाख रुपए का इनाम भी घोषित है. इस इलाके में छोटू खरवार माओवादियों का सबसे बड़ा लीडर था. छोटू खरवार के खिलाफ लातेहार के अलावा आसपास के अन्य जिलों के विभिन्न थाना क्षेत्रों में दर्जनों नक्सली हिंसा के मामले दर्ज हैं. छोटू खरवार के नाम से ही लोगों में दहशत का माहौल बन जाता था. हालांकि छोटू खरवार की पत्नी ललिता देवी को भी नक्सली फंडिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था. 21 दिसंबर 2016 को बालूमाथ पुलिस ने सहारा इंडिया के मैनेजर से 3 लाख रुपए बरामद किए थे, जो छोटू खरवार के बताए गए थे. पुलिस को 26 लाख रुपए की निवेश स्लिप भी मिली थी. जिसमें से 12 लाख रुपए ललिता देवी के नाम पर थे. इस पूरे मामले को साल 2018 में एनआईए टेकओवर किया था. जिसके बाद ललिता देवी को जुलाई 2019 में वांटेड घोषित किया गया और 19 अक्टूबर 2019 को लातेहार से गिरफ्तार कर लिया गया.
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