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रांची/ डेस्क : सब शादी के बारे में सब जानते हैं लेकिन प्री –वेडिंग का नया ट्रेंड सबको आकर्षित कर रहा है आइये जानते हैं क्या है प्री –वेडिंग ….
देश के धनकुबेर मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी ऑर राधिका मर्चेंट की प्री वेडिंग सेरेमनी को देश ऑर दुनिया ने देखा ऑर सराहा लेकिन प्री वेडिंग जैसी गैर –जरूरी समारोह की आवश्यकता क्या है ? प्री –वेडिंग का आयोजन क्या शादी के लिए जरूरी है ? अब सवाल है कि मुकेश अंबानी या अन्य धन कुबेरों को इस तरह का गैर –जरूरी रस्मों में पैसा खर्च करना कोई मुश्किल नहीं है परंतु प्री –वेडिंग का चलन जब सामान्य आदमी के दिमाग में घर कर जाए तब समस्या उत्पन्न होगा। यह तो सर्वविदित है कि भारत में देखा –देखी कर कोई कार्य करने में लोग आगे हैं। धनी व्यक्तियों के द्वारा किया गया कार्य को अनुकरण कर जब मध्यमवर्गीय परिवार करने लगे तो आर्थिक बदहाली के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा।
एक तो पहले से ही डेस्टिनेशन शादी ऑर रिसोर्ट में शादी के बोझ तले परिवारों की आर्थिक हालत खराब हो रहे हैं। पैसे नहीं रहने के बावजूद कर्ज लेकर रिसोर्ट में शादियां हो रही हैं। लड़के वाले का दवाब भी होता है कि शादी रिसोर्ट में ही होने चाहिए। दिखावे के चक्कर में दबाव में आकर लड़की के पिता कर्ज लेकर ऐसे शादी का आयोजन कर देते हैं जो उनके औकात से बाहर होता है।
ज्यादा खर्चीला होता है –
पिछले साल नवंबर में प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात ‘ कार्यक्रम में देश से बाहर होने वाले डेस्टिनेशन वेडिंग ऑर देश से बाहर जाकर शादी करने को लेकर चिंता व्यक्त की थी। एक आंकड़े के अनुसार 50 हजार ऐसी शादियाँ पिछले साल नवंबर माह के आस –पास हुई जिनका खर्च एक करोड़ से भी ज्यादा था। 38 लाख शादियाँ ऐसी थीं जिनका कम से कम खर्च 4.74 लाख करोड़ थी। आंकड़े ऑर भी हैं लेकिन वह भी एक वक्त था जब अपने गृह नगर में पूरे परंपरा ऑर रीति रिवाज के साथ लोग शादियां किया करते थे। वक्त के साथ डेस्टिनेशन वेडिंग करने विदेश जाने या देश में शाही शादी में भारी –भरकम खर्चा करने का रिवाज बनता जा रहा है। हालांकि महंगे शादियाँ देश के अर्थव्यवस्था पर असर डाल रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों से अपील किया था कि लोग विदेशों में जाकर शादी ना करें क्योंकि देश का पैसा देश में रहे।
सिनेमा का प्रभाव –
अब सवाल है कि भारत के लोग इतनी महंगी शादियाँ क्यों करते हैं? इसका मुख्य कारण भारतीय सिनेमा है । बचपन से फिल्मों में भव्य शादियाँ देखकर लड़के लड़कियां प्रेरित होते हैं ऑर धन कुबेरों की शादियाँ भी देखकर दिखावे में आ जाते हैं। भारत में तेजी से अमीरों की संख्या बढ़ती जा रही है। साल 2022 में 8 करोड़ या उससे ज्यादा की नेटवर्थ वाले अमीर व्यक्तियों की संख्या 797714 थी जो 1657272 बढ़कर साल 2027 तक होने की संभावना है। ऐसे में डेस्टिनेशन वेडिंग का क्रेज ऑर प्री –वेडिंग का चलन भारतीय मध्यमवर्गीय समाज के लिए अच्छा नहीं है। एक तरफ विदेशों में डेस्टिनेशन वेडिंग से देश का पैसा बाहर जा रहा है ,वहीं दूसरी ओर प्री –वेडिंग का चलन आम लोगों के लिए खतरा बनता जा रहा है।
आखिर प्री –वेडिंग की जरूरत क्या है ? क्या यह शादी से पहले आवश्यक होता है? प्री –वेडिंग सिर्फ फोटो शूट का एक जरिया है और शादी से पहले लड़के –लड़की को एक मंच पर दिखाने का एक तरीका है। हालांकि शादी से पहले लड़का या लड़की को सार्वजनिक करना शादी के रोमांच में सेंध लगा रहा है। किसी भी चीज का खुलापन उसे उबाऊ बनाती है। प्री –वेडींग जैसे वाहियात रस्म भारतीय समाज के लिए खतरा है ऑर लोगों के जेबों के लिए नुकसानदेह है।
समय के साथ चलना समाज की मजबूरी होती है ऑर जरूरत भी होता है लेकिन ऐसे रस्मों ऑर समारोहों को बढ़ावा देना गलत होगा जिससे आर्थिक तंगी के हालात के ज़िम्मेवार हो। एक तरफ हम दहेज प्रथा का विरोध करते हैं ताकि कन्या के पिता कर्ज के बोझ में न पड़ जाए ,वहीं प्री –वेडिंग में होने वाले खर्च से बचने की जरूरत है। धनाढ्य व्यक्तियों को प्री –वेडिंग के खर्च से कुछ नुकसान नहीं होगा लेकिन साधारण लोग इसके चक्कर में फंस कर बरवाद हो जाएंगे।