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रांची / डेस्क : पिछले कुछ महीनों से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ हो रही हिंसा और अत्याचार की घटनाओं के विरोध में पूरे भारत में प्रदर्शन हो रहे हैं.
यहां के विभिन्न संगठनों ने बांग्लादेश में हो रही हिंसा के खिलाफ़ मुखरता से आवाज उठायी है.
इसी कड़ी में कल यानी रविवार को बांग्लादेश में हिंदू, सिख, बौद्ध व जैनियों पर अत्याचार व हिंसा के खिलाफ बोधगया में विरोध प्रदर्शन करते हुए आक्रोश मार्च निकाला गया.
धर्म संस्कृति संगम के बैनर तले आयोजित विरोध मार्च में विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग शामिल हुए. इसमें बोधगया स्थित बौद्ध मठों के भिक्षुओं ने भी हिस्सा लिया. महिलाओं व युवतियों ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेकर बांग्लादेश के शासन के खिलाफ नारेबाजी की. सभी ने हाथों में तख्तियां लेकर बांग्लादेश की स्थिति को नियंत्रित करने की अपील केंद्र सरकार से की.
यह विरोध मार्च शहर के माया सरोवर उद्यान से शुरू हुआ जो महाबोधि मंदिर, कालचक्र मैदान होते हुए राजापुर मोड़ स्थित हनुमान मंदिर के पास समाप्त हुआ.
इस अवसर पर आयोजकों ने कहा कि बांग्लादेश में सरकारी संरक्षण में हिंदू, सिख, जैन व बौद्धों पर अत्याचार हो रहा है व बौद्ध मठों के साथ मंदिर को जलाया जा रहा है. महिलाओं के साथ व्यभिचार किया जा रहा है.
विरोध प्रदर्शन में शामिल शहरवासियों ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में यह सब वहां की अंतरिम सरकार के मुखिया मो युनूस के संरक्षण में हो रहा है. इस कारण भारत सरकार इस मामले में दखल देते हुए त्वरित कार्रवाई कर स्थिति को नियंत्रित करे. लोगों ने यह मांग किया कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की रक्षा करते हुए मो युनूस को मिला शांति का पुरस्कार वापस लिया जाये.
इस आक्रोश मार्च में धर्म संस्कृति संगम से जुड़े लोगों के साथ-साथ बोधगया मठ से स्वामी सत्यानंद, स्वामी विवेकानंद, बिंदेश्वर मंडल, रमेश कुमार छोटी, सुमित मौर्या, हर्ष सिंह, अमन शेखर, अमित कुमार, लाओस बौद्ध मठ के प्रभारी भिक्खु साइसाना के नेतृत्व में शामिल कई बौद्ध भिक्षुओं के साथ मगध विवि की प्राध्यापक प्रो एकता वर्मा सहित अन्य शामिल हुए.