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रांची/डेस्क : माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूँ मैं ……. तू मेरा शौक़ तो देख, मेरा इंतज़ार देख …….
इसी लाइनों के साथ पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को नम आंखों से श्रद्धांजली अर्पित करता हूँ ………..
यह लाइन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह तब बोल रहे थे जब लोकसभा में उनका स्पीच होना था। जैसे ही इस शेर की एक लाइन मनमोहन सिंह ने कहा उसी समय लोकसभा के सदस्य हंस पड़े। संसद में बैठी भाजपा के प्रखर वक्ता दिवंगत सुषमा स्वराज भी मनमोहन सिंह के यह शेर पर हंस पड़ी। मनमोहन सिंह ने शेर का दूसरा लाइन पूर्ण किया तो तालियों की गड़गड़ाहट से पूरा संसद गूंज उठा। आज हम मनमोहन सिंह के बारे में इसलिए बात कर रहे क्योंकि गुरुवार की रात को उनका निधन हो गया है। बता दें कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह नहीं रहे। बीते गुरुवार की रात 9.51 बजे दिल्ली के एम्स में उन्होंने 92 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। देर रात अपने घर पर बेहोश हो गए थे उन्हें 8.06 बजे एम्स में लाया गया था। उन्हें इमरजेंसी बार्ड में भर्ती कराया गया था। वह लंबे वक्त से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य नेताओं ने दुख प्रकट किया है ऑर कहा कि देश की आर्थिक सुधारों के जनक को इस दुनिया से जाना बड़ा ही दुखद है।
आइये जानते हैं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का राजनीतिक करियर
आर्थिक सुधार के जनक कहे जाने वाले मनमोहन सिंह बिना चुनाव लड़े 33 सालों तक सांसद रहे। राज्यसभाएं के सदस्य के रूप में उन्होने 33 वर्षों तक सेवाएँ दी है। 2004 से लेकर 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में सेवाएं दी हैं। साल 1991 से 1996 तक नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे। 1971 में भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में आर्थिक सलाहकार बनें। 1972 में वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में कार्य किया है।
आर्थिक उदारीकरण के जनक थे मनमोहन सिंह –
मनमोहन सिंह को आर्थिक उदारीकरण के जनक कहा जाता है। 1991 में भारत के वित्त मंत्री के रूप में कार्य करते हुए ऐसे फैसले लिए जिससे भारत की अर्थव्यवस्था दशकों से बंद थी, उसे खोलने का काम किया है। देश में आर्थिक सुधारों के लिए लाइसेंस राज को खत्म किया। जिस समय वे देश के वित्त मंत्री बने देश की आर्थिक हालात ठीक नहीं थे। देश को चलाने के लिए सोना गिरवी रखना पड़ा था। जब वे वित्त मंत्रालय का पद संभाला तो देश को आर्थिक रूप से मजबूत किया। विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित किया। साल 2005 में जब वे देश के प्रधानमंत्री बने तब देश में वैट लागू किया ऑर जटिल सेल्स टैक्स से निजात दिलाई। सर्विस टैक्स की व्यवस्था शुरू की। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू की। अब इसे मनरेगा के नाम से जाना जाता है। साल 2006 में स्पेशल इकोनॉमिक जोन की शुरुआत की।
देश का जीडीपी को किया ग्रोथ –
मनमोहन सिंह जब देश के प्रधानमंत्री बने तो अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए अहम काम किए। उन्होने जीडीपी ग्रोथ को आठ फीसदी तक ले गए। यह एक ऐतिहासिक था जब भारत सबसे तेजी से बढ्ने वाली दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनी।
मनमोहन सिंह की उपलब्धियां –
नरेगा – साल 2005 में शुरू किया गया था । इसके तहत 100 दिन गारंटी के अंतर्गत ग्रामीण परिवार को वेतन, रोजगार मुहैया करना होता था। आरटीआई – साल 2005 में पारित आरआईटी ने नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरणों से जानकारी मांगने का अधिकार मिला। आधार – भारत के निवासियों को विशिष्ट पहचान प्रदान करने के लिए 2009 को आधार परियोजना शुरू की थी। डीबीटी – मनमोहन सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ पहुंचाने के लिए डीबीटी की व्यवस्था शुरू की थी।
वित्त मंत्री बनने के पीछे दिलचस्प किस्सा
सरल ,सौम्य और मृदुभाषी स्वभाव के मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनने के पीछे की कहानी बेहद रोचक है। पीवी नरसिंहा राव के शपथ ग्रहण के एक दिन पहले मनमोहन सिंह के पास फोन आया , उन्हें वित्त मंत्री के पद औफ़र हुआ था। उस समय मनमोहन सिंह विदेश से लौटे थे और वे उस समय सो रहे थे, उन्हें उठाकर इस प्रस्ताव के बारे में में बताया गया तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ।
मनमोहन सिंह के निजी जीवन पर एक नजर –
अविभाजित भारत के पंजाब के गाह गाँव में जन्में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह अपने परिवार में पत्नी गुरुशरण कौर और तीन बेटियाँ उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत कौर हैं। उनके पास 15 करोड़ रुपए की संपति थी। 1958 में मनमोहन सिंह गुरुशरण कौर से विवाह किया, जो इतिहास के प्रोफेसर ऑर लेखिका हैं।
मनमोहन सिंह के शिक्षा पर एक नजर –
1954 पंजाब विवि से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि ली। 1957 में कैम्ब्रिज विवि से इकोनॉमिक्सट्रिपोस , 1962 में ऑक्सफोर्ड विवि से अर्थशास्त्र में डिफिल।
साल 2023 में व्हीलचेयर पर आए थे संसद में मनमोहन सिंह
आखिरी बार मनमोहन सिंह सात अगस्त 2023 को संसद में व्हीलचेयर पर तब पहुंचे जब दिल्ली सेवा बिल बार राज्यसभा में बहस हो रही थी। इस बिल के समर्थन में वोटिंग देने के लिए आए थे। पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह का यह जज्बा देखकर जमकर तारीफ की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि , मुझे लगता है एक सांसद अपने दायित्व के लिए कितना सजग है।