
लाइव बिहार
नई दिल्ली : 14 जनवरी 2025: मकर संक्रांति, जो भारत में हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाई जाती है, इस साल 14 जनवरी को पूरे देश में बड़े धूमधाम से मनाई जाएगी। यह त्यौहार खासतौर पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक होता है, जो कृषि समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, क्योंकि यह नई फसल की शुरुआत और लंबी गर्मियों की ओर बढ़ने का संकेत है।
मुख्य बिंदु:
1. संस्कृतिक और धार्मिक महत्व
मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व भी बहुत है। इसे उत्तरायण की शुरुआत माना जाता है, जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन की दिशा में प्रवेश करता है। यह दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और सूर्य देव की पूजा करने के लिए शुभ माना जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में लोग इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, ताकि उनके पाप समाप्त हो सकें।
2. क्षेत्रीय उत्सव और परंपराएँ
- पंजाब और हरियाणा (लोहड़ी): मकर संक्रांति को पंजाब और हरियाणा में लोहड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं, लोग इस पर नृत्य करते हैं और लोक गीत गाते हैं।
- गुजरात और महाराष्ट्र (उत्तरायण): गुजरात और महाराष्ट्र में यह दिन विशेष रूप से पतंगबाजी के लिए प्रसिद्ध है। गुजरात के अहमदाबाद में तो पतंगबाजी का मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग काइट फेस्टिवल में भाग लेते हैं।
- दक्षिण भारत (पोंगल): दक्षिण भारत में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में यह पर्व विशेष रूप से फसल की कटाई का धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है, जिसमें विशेष रूप से पोंगल नामक पकवान बनाया जाता है।
- बंगाल (पोइला बोइषाख): पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति को पोइला बोइषाख (बंगाली नववर्ष) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पारंपरिक खाद्य पदार्थों का सेवन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं।
3. खास भोजन और रिवाज
मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तिल और गुड़ से बनी मिठाइयाँ जैसे तिलगुल बनाई जाती हैं। इसे एक-दूसरे को देने और मीठी बातें करने की परंपरा है। दक्षिण भारत में पोंगल नामक पकवान तैयार किया जाता है, जो चावल, मूंग दाल और घी से बनता है। इस दिन घरों में खास पकवानों का आयोजन होता है और लोग परिवार के साथ समय बिताते हैं।
4. मौसम और पतंगबाजी
मकर संक्रांति का मौसम ठंडा और ठंड़ा रहता है, जो पतंगबाजी के लिए आदर्श है। खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में लोग अपने घरों की छतों पर रंग-बिरंगी पतंग उड़ाते हैं। अहमदाबाद में तो इसका एक बड़ा मेला लगता है, जहां लोग प्रतियोगिता के रूप में पतंगबाजी करते हैं और आकाश में ढेर सारी पतंगे लहराती हैं।
5. मकर संक्रांति 2025:
14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति मंगलवार को पड़ रही है, जिससे अधिकांश लोग एक लंबा वीकेंड बिताएंगे। इस दिन को लेकर देशभर में विशेष आयोजन और मेलों की योजना बनाई जा रही है। जगह-जगह पर पारंपरिक नृत्य, संगीत, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा।
6. आध्यात्मिक और सामाजिक पहलू
मकर संक्रांति का दिन न केवल कृषि और मौसम के परिवर्तन का प्रतीक है, बल्कि यह समाज में भाईचारे, प्यार और समृद्धि का संदेश भी देता है। लोग एक-दूसरे से तिल और गुड़ की मिठाइयाँ बांटते हैं और सुख, समृद्धि की कामना करते हैं।