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रांची/ डेस्क : झारखंड हाईकोर्ट ने एक शव को लेकर एक फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया कि मरने के बाद भी शव को सम्मान मिले। जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने एक डेथ व्यक्ति की लाश को लेकर प्रदर्शन की बढ़ रही घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए फैसला सुनाया है। दरअसल यह मामला मैथन पावर लिमिटेड की ओर से दायर याचिका से जुड़ी है। प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता सुमित गड़ोदिया ने पक्ष रखते हुए कहा कि निरसा में मैथन पावर लिमिटेड का प्लांट है, जहां बिजली का उत्पादन होता है। उसके गेट पर आए दिन शव रख कर विरोध प्रदर्शन करने से काम प्रभावित होता है। वहीं व्यक्ति के शव को उचित सम्मान भी नहीं मिलता है।
अदालत ने कहा, सख्ती से हो पालन निर्देश –
हाईकोर्ट ने इस याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि जिस तरह सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार होता है, उसी तरह मरने के बाद शव को उचित सम्मान मिलने का अधिकार है। अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव व डीजीपी को दिशा –निर्देश देते हुए कहा कि निर्देश को सख्ती से पालन किया जाए ऑर शव को उचित सम्मान के साथ दफनाने या दाह संस्कार की व्यवस्था हो। हाईकोर्ट ने उपरोक्त अधिकारियों को अदालत ने सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस आदेश को जिला मजिस्ट्रेट/ उपायुक्त व जिले के एसएसपी या एसपी के साथ राज्य के संबंधित पुलिस थाना के प्रभारी सहित सभी संबंधितों को सूचित किया जाए ऑर अदालत के निर्देशों को पालन किया जाए।
झारखंड में शव के प्रदर्शन को लेकर जारी हो गाइडलाइंस-
प्रार्थी पक्ष के वकील का कहना कि हरियाणा व राजस्थान में जिस प्रकार से शव डिस्पोजल का एक्ट बना हुआ है जिसमें शव को लेकर प्रदर्शन करना गैरकानूनी है झारखंड में भी एक ऐसी गाइडलाइन जारी होनी चाहिए। संविधान के आर्टिकल 21 के अंतर्गत शव को डिस्पोजल के लिए सम्मानजनक अधिकार है।