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नई दिल्ली / डेस्क : महाराष्ट्र में एक बार फिर सियासत गरमा गई है. महाराष्ट्र विधानसभा में उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों ने शपथ लेने से इनकार कर दिया. एक बार फिर विधायकों ने ईवीएम पर सवाल उठाया है. विधायकों ने कहा कि, उनको जनादेश स्वीकार नहीं है. विधायकों ने सदन का बहिष्कार किया. उन सभी का कहना है कि, उनको EVM पर संदेह है. यह जनादेश जनता ने नहीं दिया है. चुनाव के नतीजे आने के बाद, एक बार फिर सियासी पारा हाई हो चुका है. इससे पहले महायुति में सीएम पद को लेकर कई दिन तक बैठकों का दौर चला था. महाराष्ट्र विधानसभा का 3 दिवसीय विशेष सत्र शुरू हुआ है. जिसमें नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी. महाराष्ट्र के नए सीएम देवेंद्र फडणवीस, डिप्टी सीएम अजित पवार और एकनाथ शिंदे सदस्य के तौर पर शपथ ले चुके हैं. दरअसल सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई. सबसे पहले विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर के तौर पर कालिदास कोलंबकर को चुना गया. जिन्होंने सीएम और डिप्टी सीएम को शपथ दिलाई।. इसके बाद विधायकों को शपथ दिलाने का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन शिवेसना (UBT) और MVA के अन्य विधायकों ने शपथ लेने से इनकार कर दिया. जिसके बाद आदित्य ठाकरे ने बताया कि, उन लोगों को EVM पर संदेह है. यह जनता का जनादेश नहीं है. इसलिए उन लोगों ने सदन से वॉकआउट किया, शपथ नहीं ली. आदित्य ठाकरे ने आगे कहा कि, उनकी पार्टी के चुने गए विधायक शपथ नहीं लेंगे. अगर जनता का जनादेश मिला होता तो वे लोग खुशी जाहिर करते. लेकिन इस जीत के बाद महाराष्ट्र में कहीं जश्न का माहौल नहीं दिखा. उन लोगों को ईवीएम पर संदेह है. वहीं विपक्ष पर अजित पवार ने हमला बोला और कहा कि ईवीएम की वजह से विपक्ष ने वॉकआउट किया है, लेकिन इससे कुछ नहीं होने वाला.उन्होंने पहली बार ऐसा देखा है. अगर विपक्ष को EVM को लेकर कोई आपत्ति है तो चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाना चाहिए. कोर्ट का विकल्प भी उनके पास है. लेकिन वॉकआउट करने से क्या होगा? आपको बता दें कि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोटिंग हुई थी. 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान किया गया था. 288 सीटों में महायुति को 230 पर जीत मिली है. जिसके बाद नई सरकार के सीएम के तौर पर देवेंद्र फडणवीस ने 5 दिसंबर को शपथ ली थी. विधायकों की शपथ और अध्यक्ष के चुनाव के बाद 9 दिसंबर को ही राज्यपाल का अभिभाषण होगा. नई विधानसभा का शीतकालीन सत्र नागपुर में 16 से 21 दिसंबर तक चलेगा. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 5 दिसंबर को शपथ के बाद कहा था कि, शीतकालीन सत्र से पहले नए मंत्रिमंडल की घोषणा कर दी जाएगी.