झारखंड विधानसभा चुनावों के नतीजों के रुझान यह स्पष्ट कर रहा है कि भाजपा द्वारा घुसपैठियों का मुद्दा जिस प्रकार झारखंड में चलाया गया वह नहीं चला। असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा ऑर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जिस प्रकार झारखंड में घुसपैठियों का मुद्दा चलाने की कोशिश की गई वह जनता में स्वीकार्य नहीं हुआ। इसके विपरीत हेमंत सोरेन ने महिलाओं के लिए योजनाएं चलाकर नतीजों को अपने पक्ष में लाने की कोशिश है इससे साफ हो रहा कि घुसपैठियों का मुद्दा नहीं चला। ‘माँईयां योजना’ से फायदा हुआ – झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणामों की बात किया जाए तो सबसे बड़ी मुद्दा महिला रही है क्योंकि जिस प्रकार से मईयां योजना में 18 से 50 साल के महिलाओं को सीधे बैंक एकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया गया वह हेमंत सरकार के लिए मददगार साबित हो रही है, और उन्हें सत्ता में दुबारा लौटने का इशारा भी कर रही है। वहीं महाराष्ट्र में लाड़ली योजना के भरोसे एनडीए गठबंधन प्रचंड बहुमत के तरफ बढ़ चुकी है। जिस प्रकार से झारखंड में चुनाव के एक दो माह पहले हेमंत सोरेन ने महिलाओं के लिए स्किम ले कर आए वह चुनावों के नतीजों में दिख रही है। महिलाओं की अधिकार की बात हो – झारखंड चुनाव में जिस प्रकार झामुमो गठबंधन की बढ़त मिल रही है उसका प्रमुख कारण महिलाओं के खाते में पैसे को ट्रांसफर होना एक बड़ी कारण हो सकती है, महाराष्ट्र में भी लाड़ली बहन योजना से शिंदे सरकार को प्रचंड बहुमत मिल रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि सिर्फ महिलाओं को कुछ पैसे देकर क्या खुश किया जाए या उन्हें समान अधिकार देकर हर क्षेत्र में आगे बढ़ाना चाहिए।
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