
जोहार साथियों, जैसा कि हमने पहले भी कहा था, झारखंड में लगातार बढ़ रहे बंगलादेशी घुसपैठ के खिलाफ हमारा आंदोलन कोई राजनैतिक या चुनावी मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभियान है। हमारा स्पष्ट तौर पर मानना है कि वीरों की इस माटी पर घुसपैठियों को किसी भी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलना चाहिए।
आगे चंपाई सोरेन ने कहा पाकुड़, साहिबगंज समेत कई जिलों में आदिवासी समाज आज अल्पसंख्यक हो चुका है। अगर हम लोग वहां के भूमिपुत्रों की ज़मीनों और वहां रहने वाली बहू –बेटियों की अस्मत की रक्षा ना कर सके, तो… ?
चुनावी गहमागहमी के बाद, वीर सिदों-कान्हु, चांद –भैरव एवं वीरांगना फूलो –झानों को नमन कर के, बहुत जल्द हम लोग संथाल परगना की वीर भूमि पर अपने अभियान का अगला चरण शुरू करेंगे।
सरकारें आएंगी –जाएंगी, पार्टियां बनेंगी –बिगड़ेंगी मगर हमारा समाज रहना चाहिए,हमारी आदिवासियत बची रहनी चाहिए, अन्यथा कुछ नहीं बचेगा। इस वीर भूमि से फिर एक बार ‘उलगुलान’ होगा।
जय आदिवासी! जय झारखंड !!