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नई दिल्ली / डेस्क : इस्कॉन के 54 सदस्यों को आज बांग्लादेश की आव्रजन पुलिस ने बेनापोल सीमा से वापस लौटा दिया. जबकि उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज थे. बांग्लादेश पुलिस ने ‘संदिग्ध यात्रा’ का हवाला देते हुए उन्हें आगे बढ़ने की इजाजत नहीं दी. कुछ लोगों ने तो यह भी दावा किया कि, सीमा पर पहुंचने वाले हिंदुओं की कुल संख्या 70 से ज्यादा थी. आपको बताते चले कि, बांग्लादेश के कई हिस्सों से हिंदू श्रद्धालु शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित भूमि बंदरगाह पर पहुंचे थे. वे बेनापोल-पेट्रापोल क्रॉसिंग के जरिए भारत जाना चाहते थे, लेकिन मिली जानकारी के अनुसार पुलिस की विशेष शाखा से परामर्श किया गया और उच्च अधिकारियों से उन्हें अनुमति नहीं देने के आदेश मिले. जिसके बाद अधिकारियों ने इस्कॉन के 54 सदस्यों को ‘उनके यात्रा उद्देश्यों के संबंध में संदेह’ के कारण भारत में आने की इजाजत नहीं दी. इतना ही नहीं समूह के कई सदस्यों को शनिवार रात से सीमा चौकी पर इंतजार करने के लिए कहा गया था. सभी सदस्य अपने वैध पासपोर्ट और वीजा के साथ धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भारत जा रहे थे, इसके बावजूद भी उन्हें वापस भेज दिया गया और अभी तक अधिकारियों ने ऐसा करने का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया है. इसी बीच इस्कॉन के सदस्यों में से एक सौरभ तपंदर चेली ने मीडिया को बताया कि, हम भारत में एक धार्मिक समारोह में हिस्सा लेने जा रहे थे, लेकिन इमिग्रेशन अधिकारियों ने सरकारी अनुमति न होने का हवाला देते हुए हमें रोक दिया. बता दें भारत की तरफ पेट्रापोल में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट का उद्घाटन जुलाई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संयुक्त रूप से किया था. हालांकि बांग्लादेश में मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों की ओर से हमले हो रहे हैं. इस सप्ताह की शुरुआत में ही बांगलादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन बांगलादेश से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत की अर्जी खारिज होने के बाद से ही, देश में अल्पसंख्यकों के साथ जुल्म हो रहा है. उनके घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी, लूटपाट, चोरी, तोड़फोड़, देवी-देवताओं की प्रतिमाओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के नेतृत्व में पूरे देश में हिंदुओं के खिलाफ संगठित अपराध हो रहे हैं. पहले कट्टरपंथियों ने हिंदुओं पर हमले किए और अब सरकारी तौर पर उनका दमन किया जा रहा है.