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रांची/ डेस्क : केंद्रीय महिला विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने ‘ बाल विवाह मुक्त भारत अभियान ‘ की शुरुआत की है। दरअसल इस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बाल विवाह के मामलों में नियंत्रण हो सकेगा। इस पोर्टल के जरिये मामलों की रिपोर्ट करने ऑर उसकी प्रगति की निगरानी का ध्यान रखा जाएगा। केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि बीते एक साल में करीब दो लाख बाल विवाह रोके जा चुके हैं। लेकिन देश में अब भी हर कोने में पांच में से एक लड़की की शादी कानूनी उम्र 18 साल से पहले कर दी जाती है। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि बाल विवाह हमारे सामने एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। अनपूर्णा देवी ने कहा है कि 2029 तक बाल विवाह दर को 5 प्रतिशत से नीचे लाने के लिए विशिष्ट योजनाओं को बनाने का आग्रह सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से की है।
झारखंड समेत सात राज्यों में सबसे अधिक मामले –
झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान, त्रिपुरा ,असम और आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक बाल -विवाह के मामले देखे जाते हैं। इस अभियान को इन राज्यों में विशेष तौर पर चलाया जाएगा। ऐसे जिलों को चिन्हित किया जाएगा, जहां बाल -विवाह दर राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार –
कई राज्यों में शादी की कानूनी उम्र का पालन नहीं हो रहा है। आंकड़ों के अनुसार पश्चिम बंगाल में 42 प्रतिशत , बिहार में 40, त्रिपुरा में 39 झारखंड में 35 , आंध्रप्रदेश में 33 , असम में 32 , तेलंगाना में 27 , राजस्थान और मध्यप्रदेश में 25-25 प्रतिशत लड़कियों की शादियां कानूनी उम्र से पहले कर दी जा रही है।
बाल -विवाह कानून की अनदेखी –
भारत में बाल -विवाह रोकने के लिए सन 1929 में कानून लागू कर दिया गया था जिसमें लड़की की शादी की न्यूनतम उम्र 15 साल सुनिश्चित की गई थी। बाद में संशोधन 1978 में हुई जिसमें लड़कियों की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 साल कर दी गई थी।
बाल विवाह के पीछे ऐतिहासिक कारण भी हैं –
बाल विवाह के पीछे ऐतिहासिक कारण भी हैं। भारत पर विदेशी अक्रांताओं का हमला हुआ, बेटियों के इज्जत लूटा गया। इज्जत के खातिर माता -पिता लड़कियों की शादी कम उम्र में करने को मजबूर थे। यह मजबूरी चलन बन गया। लेकिन आज के भारत में ऐसी स्थिति नहीं है।
गरीबी के बोझ के कारण बाल -विवाह भी होता है –
बाल विवाह के कारणों पर गौर करें तो गरीबी भी एक कारण है। माता -पिता लड़की की शादी कम उम्र में कर दायित्व पूरा कर लेते हैं। उनका मानना होता है कि कम उम्र में शादी करने से लड़की की जिम्मेवारी उन पर नहीं रहती है।
दहेज के कारण भी बाल -विवाह होता है –
कई माता -पिता दहेज न देने के कारण भी बाल विवाह कर देते हैं, उनका कहना होता है कि कम उम्र में शादी करने से दहेज नहीं देना होता है।