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लाइव बिहार
पटना: बिहार में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। राज्य की एक दिग्गज मंत्री के भाई ने पटना के एसपी कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। उनके खिलाफ कई गंभीर आरोपों के चलते कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी किया था। जब पुलिस ने कुर्की की कार्रवाई शुरू की, तो घबराकर उन्होंने सरेंडर कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
मंत्री के भाई पर भूमि विवाद, जबरन वसूली, धमकी और हिंसा सहित कई गंभीर आरोप दर्ज हैं। कोर्ट में बार-बार पेश नहीं होने के चलते उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया था। जब पुलिस ने उनके घर और अन्य संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की, तो उन्होंने दबाव में आकर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
पुलिस का बयान
पटना पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्री के भाई लंबे समय से फरार थे। उनके खिलाफ कुल 12 मामले दर्ज हैं, जिनमें कई संगीन धाराओं के तहत केस चल रहे हैं। पुलिस ने बताया कि उन्हें कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की तैयारी करनी पड़ी, जिसके बाद आरोपी ने सरेंडर किया।
मंत्री ने क्या कहा?
इस घटना पर मंत्री ने सफाई देते हुए कहा, “कानून सभी के लिए समान है। मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को कानून का पालन करना होगा। मैंने किसी भी तरह की हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की।”
विपक्ष का हमला
इस घटना ने बिहार की राजनीति को गरमा दिया है। विपक्ष ने सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि सत्ता से जुड़े लोग कानून तोड़ने में सबसे आगे रहते हैं। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार अपराधियों को संरक्षण दे रही है और यह घटना उसकी विफलता का प्रमाण है।
कुर्की की कार्रवाई बनी बड़ी वजह
पुलिस ने जब आरोपी के घर और अन्य संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू की, तो उनके परिवार के सदस्यों और करीबी लोगों में हड़कंप मच गया। सूत्रों के मुताबिक, कुर्की के डर से ही मंत्री के भाई ने आत्मसमर्पण का फैसला लिया।
आगे की कार्रवाई
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने की तैयारी शुरू कर दी है। मामले की जांच में तेजी लाई गई है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इस घटना के अन्य पहलुओं की भी जांच की जा रही है।
सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर सवाल
इस घटना ने राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जहां एक तरफ मंत्री ने कानून को समान बताने की बात कही है, वहीं दूसरी तरफ यह मामला प्रशासन और राजनीति के आपसी संबंधों पर बहस छेड़ सकता है।
बिहार में यह घटना न केवल सियासी हलचल का कारण बनी है, बल्कि कानून के प्रभावी और निष्पक्ष अमल पर भी कई सवाल उठाती है।