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पटना: बिहार की राजनीति में इन दिनों सियासी बयानबाज़ी अपने चरम पर है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा पर तीखे आरोप लगाते हुए कहा कि बिहार “भ्रष्टाचार का गढ़” बन गया है। तेजस्वी ने जदयू-भाजपा गठबंधन पर निशाना साधते हुए भाजपा को ‘दोगला’ करार दिया और नीतीश कुमार की नीतियों पर सवाल उठाए।
तेजस्वी यादव ने कहा, “नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को धोखा दिया है। उनकी सरकार में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार चरम पर है। भाजपा और जदयू केवल राजनीतिक लाभ के लिए एक-दूसरे का इस्तेमाल कर रहे हैं।”
तेजस्वी के इन आरोपों पर जदयू ने कड़ा पलटवार किया। जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “तेजस्वी यादव बिना किसी तथ्य के बयान देते हैं। उन्हें राजनीति विरासत में मिली है, लेकिन वे इसके महत्व को नहीं समझते। नीतीश कुमार का 45 साल का राजनीतिक अनुभव उनकी ईमानदारी और समर्पण का प्रतीक है।” नीरज ने आगे कहा कि जदयू मर्यादा में रहकर राजनीति करती है, लेकिन अगर जरूरत पड़ी तो तेजस्वी के विषैले बयानों का जवाब देना भी आता है।
इस सियासी खींचतान में भाजपा भी शामिल हो गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने तेजस्वी यादव की टिप्पणियों को ‘गंदी सोच’ करार दिया। उन्होंने कहा, “एनडीए के पांच घटक दल पांच पांडवों की तरह हैं, जो विरोधियों को जवाब देने में सक्षम हैं। तेजस्वी यादव केवल बयानबाजी तक सीमित हैं, जबकि एनडीए बिहार के विकास के लिए काम कर रही है।”
जदयू ने तेजस्वी यादव के इस बयान को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश कुमार और भाजपा के बीच साझेदारी मजबूत है और इसे लेकर उठाए गए सवालों का कोई आधार नहीं है।
बिहार की राजनीति में यह बयानबाजी विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधन और विपक्ष के बीच गहराते तनाव को दर्शाती है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सियासत के इस संघर्ष में कौन सी रणनीति जनता का समर्थन जुटाने में सफल होगी।