
ऐसे तो हर मौसम में ‘साग’ की महत्ता होती है लेकिन सर्दी के मौसम में साग के विभिन्न किस्म पाए जाने से मानव शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। मेथी ,बथुआ ,चोलाई ,चने की साग हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। पालक की साग में आयरन पाया जाता है जो रक्त को शुद्ध करता है। मकई के रोटी के साथ सरसों के साग तो अब वैश्विक हो चुका है। पहले यह ब्यंजन पंजाबी समाज में लोकप्रिय था लेकिन अब सभी समाजों में इसकी स्वीकार्यता मिल चुकी है। बथुआ के साग के लिए तो जाड़े का मौसम का इंतजार रहता है। बथुआ को आलू में फेंटकर तरकारी भी बनाया जाता है जो बेहद स्वादिष्ट होता है। मूली के साग भी का कम महत्व नहीं है लेकिन मूली खरीदने के समय मूली के पत्ते को छोड़कर सिर्फ मूली घर लाना सबसे बड़ी भूल होती है। क्योंकि मूली के पत्ते की साग भी रुचिकर व फायदेमंद होता है।
आयरन से भरपूर होता है ….
पालक के साथ पनीर का गठजोड़ ‘पालक पनीर तो पार्टियों का शान बना हुआ है। कोई बड़ा समारोह का भोज पालक पनीर के बिना अधूरा ही होता है । घर में कोई मेहमान आने पर पालक पनीर उनके स्वागत के लिए आज उपयुक्त समझा जाता है। लेकिन दूध से बने पनीर के साथ नमकीन व्यंजन की क्या गठजोड़ है ? या समझ से परे लगता है। हालांकि पनीर से बने व्यंजन के बिना पार्टी अधूरी मानी जाएगी। समय के साथ भोजन ऑर उसके बनाने के तरीके बदलाव अवश्य हुआ है परंतु साग की विशेषता आज भी कायम है। सर्दी के मौसम में साग ऑर उसमें पाए जाने वाले खनिज पदार्थ को कोई कैसे इंकार कर सकता है। उसी तरह मोटे अनाज की सार्थक्ता बढ़ रही है। साल 2023 में अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष घोषित किया गया है। भारत इसके उत्पादन ऑर उपयोग को अधिक से अधिक प्रोत्साहित कर रही है। जी -20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए विदेशी मेहमानों को नाश्ते ऑर भोजन में मोटे अनाज से बने व्यंजनों को परोसा गया जिसकी तारीफ पूरे विश्व में हो रही है। मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ के नाम से जाना जाने लगा है।
स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है ……
एक तरफ साग ऑर मोटे अनाज की उपयोगिता की चर्चा करना जरूरी है तो दूसरी तरफ साग जैसे पौष्टिक आहार से अनभिज्ञ युवा पीढ़ी के बारे में चिंता करना आवश्यक हो जाता है। आज के युवा मोटे अनाज की महत्ता को समझने से अभी दूर हैं । वे चाउमीन ,मोमो आदि मैदा से बने व्यंजन को ही अधिक पसंद करते हैं जिनसे अनेक बीमारियों से जूझना पड़ रहा है। क्योंकि मैदा जैसे बारीक अनाज शरीर में पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। लीवर के लिए मैदा से बने खाद्य सामाग्री बहुत ही कष्टकारी होता है व लीवर को ज्यादा मेहनत करना पड़ता है इसे पचाने में ऑर ऐसे वस्तु को खाने से पेट साफ भी नहीं होता है जिसके कारण अनेक रोगों का सामना करना पड़ता है। अनेक बीमारियों से लड़ने वाला यह मोटे अनाज ज्वार ,बाजरा ,रागी ,कुटकी ,कोदो ,कंगनी ,कुट्टु की उपयोगिता बढ़ती जा रही है। मड़ुआ के बारे में ड़ौक्टर यहां तक बोल रहे हैं कि इसका सेवन से होमोग्लोबिन की कमी को पूर्ति किया जा सकता है। जो पहले अंजीर ऑर पास्ता बादाम ,फल ,सेव खाने का सलाह चिकित्सक देते थे आज मड़ुआ खाने का सलाह दे रहे हैं । और यह ठीक भी है कि गरीब व्यक्ति भी इन मोटे अनाज ऑर साग को खाकर स्वयं को ठीक रख सकते हैं।
सर्दी के मौसम में साग की चर्चा करते समय बचपन की यादें ताजा हो जाती है कि किस प्रकार साग –भात को ठंड के मौसम में बेहद लोकप्रिय भोजन माना जाता था । प्राचीन काल से ही साग की चर्चा होते आ रही है कि भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के महलों के अनेकों पकवानों को ठुकरा के महात्मा विदुर के घर ‘साग ‘ खाए थे । लेकिन आज के युवा ‘साग’ की उपयोगिता की जानकारी से बहुत ही दूर होते चले जा रहे हैं जो बेहद चिंतनीय है।